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ये मैं हूं:संजय दत्त, जूही चावला, रानी मुखर्जी के ड्रेस डिजाइन किए, जो पापा को कहते थे बेटियां सिर पर नाचेंगी, उन्हें भी गर्व
ये मैं हूं:संजय दत्त, जूही चावला, रानी मुखर्जी के ड्रेस डिजाइन किए, जो पापा को कहते थे बेटियां सिर पर नाचेंगी, उन्हें भी गर्व
‘मारवाड़ी परिवार जहां लड़कियां उतनी ही पढ़ाई जाती हैं जिससे कि वे शादी के बाद अपने बच्चों को पढ़ा सकें। इन परिवारों में बहुएं या तो भाई दूज या रक्षाबंधन पर बाहर निकलती हैं, लेकिन मैंने सारे नियम तोड़ दिए और अपने मन का किया।’
इकलौती लड़की जिसने पीजी किया
मुंबई में पली-बढ़ी श्रुति जैन वुमन भास्कर से खास बातचीत में कहती हैं, ‘मैं अपने परिवार की इकलौती लड़की हूं जिसने पोस्ट ग्रेजुएशन किया। ऊपर से ऐसी फील्ड में नौकरी कर रही जिसमें न दिन का पता है, न रात का। हम चार बहनें हैं और जाहिर कि माता-पिता को इस वजह से सुनाया भी बहुत गया।
पापा ने बेटियों के मन की बात सुनी
कभी किसी रिश्तेदार ने कहा कि इतना पढ़ा रहे हो बेटियां सिर पर नाचेंगी, देख लेना घर में नहीं टिकेंगी, रवाना हो जाएंगी…पर पापा ने किसी की नहीं सुनी और हम चारों बहनों को अच्छी एजुकेशन दिलाई। आज दो बहनें विदेश में हैं।
फैशन डिजाइनिंग का भी कोर्स किया
मैं एक बिजनेस फैमिली से थी, इस वजह से नंबरों से प्यार शुरू से रहा। इसलिए बीएमएस इन फाइनेंस किया और सीएफए अल्फा लेवल पास किया। फाइनेंस में पढ़ाई करने के बाद फैशन डिजाइनिंग का कोर्स सिर्फ इस वजह से किया कि अगर शादी के बाद नौकरी नहीं करने दी गई तो घर में काम शुरू कर दूंगी और घर बैठे कमाऊंगी।
मेहनत रंग लाई और फैशन स्टाइलिस्ट बन गई
आखिरकार, मेहनत रंग लाई और साल 2006 में मुझे एंटरटेनमेंट सेक्टर का बड़ा नाम ‘सोनी टीवी शो’ में एसिस्टेंट फैशन स्टाइलिस्ट के तौर पर काम मिल गया।
बूगी-वूगी शो ने बड़ा ब्रेक दिया
मेरे यह इंडस्ट्री एलियन नहीं थी क्योंकि मेरे पिता पहले ही यहां बतौर प्रोड्यूसर काम कर कर चुके थे। तीन महीने के भीतर मुझे ‘बूगी-वूगी’ शो में स्टाइलिस्ट का काम मिला। यह शो सुपर सक्सेसफुल रहा। यही वो वक्त था जब मुझे मेरा लाइफ पार्टनर मिला। शादी के बाद जिंदगी बिल्कुल बदल गई। मुझे कई टीवी शोज मिले जहां बतौर स्टाइलिस्ट काम किया।
बड़े सितारों के साथ किया काम
मैंने मिस्टर प्रदीप सरकार, संजय दत्त, रानी मुखर्जी औऱ जूही चावला जैसे सितारों के लिए ड्रेस डिजाइन की। अब मैं एक कदम आगे और कॉस्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर आगे बढ़ गई। राज कुमार हिरानी के साथ भी काम किया। इसके बाद खुद का काम करने की सोची और ‘श्वेत डिजाइन वियर’ नाम से कंपनी बनाई। इसी के साथ मेरी आंत्रप्रेन्योर की जर्नी शुरू हो गई।
कोविड के दौरान काम ठप रहा
आठ साल बिजनेस संभालने के बाद कोविड आ गया और काम ठप पड़ गया। एक काम बंद हुआ तो दूसरा शुरू कर दिया। मैंने पिछले साल ही ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘ओमटीवी’ की शुरुआत की। यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जो इंडियन कल्चर को बढ़ावा देता है। मैं स्क्रिप्ट, कॉन्सेप्ट्स और फिल्म मेकिंग के अन्य प्रोफेशनल अनुभवों से भी गुजर चुकी थी।
शुरू किया अपना काम
अब ओमटीवी की को-फाउंडर के साथ-साथ प्रोडक्शन डिजाइनर, ऑपरेशन हेड और फाइनेंशियल मैनेजर भी हूं। पद चाहे जितने मिल गए हों लेकिन सीखना बंद नहीं हुआ है। अब खुद की कंपनी में काम करती हूं और बिजनेस वुमन बनने का बचपन का सपना सामने पूरा होते देख रही हूं।
घूमने का बचपन से ही रहा है शौक
ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ काम ही करती हूं बल्कि मस्ती भी खूब करती हूं। मुझे घूमने का इतना शौक है कि मेरे घर वाले मुझे ‘गूगल मैप’ कहते हैं। हा हा हा… अपने खाली समय में लिखने-पढ़ने का काम चालू रहता है। मैं चलती-फिरती कैलकुलेटर हूं। नंबर मेरी उंगलियों पर धरे रहते हैं।
बड़े सपने देखें और पूरे करें
इंड्स्ट्री में पैर जमाने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी लेकिन हार नहीं मानी। अब मैं हर लड़की को कहती हूं कि आपका जो सपना है, उसे जरूर पूरा करें। परिवारों को समझाने में वक्त लगता है लेकिन समझ जाते हैं। सपने बड़े देखें और उन्हें पूरा करें।